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political issues

 आज के समय में भारत ही क्या विश्व स्तरीय राजनेतिक दवाब विश्व में बढ़ता जा रहा है। आज हम भारत से शुरू करेंगे। आज हमे मालूम है कि हम वैश्विक ताकत खोते जा रहें है। प्रश्न है कैसे और क्यों और कब तक। परंतु हम इस समय उलझे पड़े है कैसे हम अपनी राजनीतिक शक्तियों को कैसे संजो के रखें। यही हमारा दुर्भाग्य है। सता पक्ष की चाहत है वो सर्वव्यापी बना रहे किसी भी मूल्य पर। उसी तरह विपक्ष कि चाहत है कि वो कैसे ताकतवर हो चाहे उसे कुछ भी करना पड़े। पर ये राजनीतिक पार्टियां भूल गई है कि 135 करोड़ लोगो को किस दिशा में ले जाते है। इस समय सता पक्ष को चाहिए था कि वो अर्थ्यवस्था को सही करें। आज हमारी अर्थ्यवस्था दलालों के भरोसे ही है आज हम व्यापारी तो ही बना पा रहे है उद्यगपतियों को नहीं आज हमारी युवा पीढ़ी ये नहीं सोच पा रही कि हम किस तरह अपना स्तर उपर ले के जा सकें। क्योंकि हमने इंजिनियर इस तरह बनाए है जिन को मामूली जानकारी भी नहीं होती। सरकारी  यूनिवरसिटीज का दाखिला नहीं मिलता और प्राइवेट वाले सिर्फ और सिर्फ पैसा लेते है और कुछ नहीं करवाते। बाहर ट्यूशन लगवा के बच्चे पढ़ते है।। और आप चाहते हो युवा कुछ करे स